ग्वालियर। मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रशासन अलर्ट मोड पर है। चुनाव आयोग कभी भी आचार संहिता और चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकती है। वहीं इसी बीच ग्वालियर जिले में धारा 144 लगा दी गई है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी ने नवदुर्गा महोत्सव, दशहरा व दीपावली सहित अन्य त्योहारों और प्रस्तावित विधानसभा आम निर्वाचन को ध्यान में रखकर यह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। ग्वालियर जिले की सीमा में बगैर पूर्व अनुमति के किसी भी सार्वजनिक स्थल पर जुलूस, मौन जुलूस, सभा, आम सभा व धरना-प्रदर्शन आदि पर पूर्ण: पाबंदी लगा दी गई है। साथ ही विभिन्न आयोजनों व चल समारोह इत्यादि में सार्वजनिक रूप से धारदार हथियार जैसे तलवार, लाठी, फरसा, बरछी एवं किसी भी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र आदि धारण करने और उनका प्रदर्शन करने पर भी पूर्णतया: प्रतिबंध रहेगा। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी अक्षय कुमार सिंह ने भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 के तहत इस आशय का आदेश जारी किया है। यह आदेश आगामी दो माह तक प्रभावशील होगा और प्रतिबंधात्मक आदेश का उल्लंघन भारतीय दण्ड विधान की धारा-188 एवं अन्य दंडात्मक प्रावधानों के अंतर्गत दंडनीय होगा।
जिला दण्डाधिकारी अक्षय कुमार सिंह ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि विभिन्न आयोजनों के लिये पूर्व में ही संबंधित अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं एक अनुविभाग से अधिक अनुविभाग में आयोजन होने की स्थिति में संबंधित अपर जिला दण्डाधिकारी से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होगा। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी भी प्रकार के कटाउट, बैनर, पोस्टर, फ्लैक्स, होर्डिंग, झण्डे इत्यादि पर किसी भी धर्म, व्यक्ति, संप्रदाय, जाति या समुदाय के खिलाफ नारे या भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल किसी भी सार्वजनिक व निजी स्थान पर पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही किसी भी भवन व सम्पत्ति (सार्वजनिक व निजी) पर भी आपत्तिजनक भाषा और भड़काऊ नारे लिखा जाना भी प्रतिबंधित किया गया है। इसी प्रकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मसलन फेसबुक, वॉट्सएप, ट्विटर इत्यादि पर भी किसी भी वर्ग, धर्म एवं संप्रदाय के खिलाफ भड़काऊ व आपत्तिजनक पोस्ट करना और फॉरवर्ड करना पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में यह भी साफ किया गया है कि जन प्रतिबंधात्मक आदेशों के संबंध में विशेष परिस्थितियों में जिला प्रशासन द्वारा छूट व शिथिलता संबंधी निर्णय प्रकरण विशेष में लिया जा सकेगा। शासन व प्रशासन द्वारा आयोजित कार्यक्रमों सहित पारिवारिक कार्यक्रम, विवाह समारोह, बारात इत्यादि के मामले में पूर्वानुमति लिए जाने की जरूरत नहीं होगी।