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25 टन कांसा इकट्ठा होने का अनुमान, बालोद जिले से 20 हजार से अधिक लोग हुए शामिल, जल्द ही तैयार होगा बूढ़ादेव की 71 फिट प्रतिमा

प्रदेशाध्यक्ष श्री अमित बघेल ने किया आव्हान, छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के नेतृत्व में चुनाव लड़ने तैयार रहें छत्तीसगढ़िया समाज के लोग

अब हर साल अप्रैल में बूढ़ादेव मंदिर में मनाया जाएगा चइतराही और करसाड़

बालोद । 8 अप्रैल को रायपुर में मनाया गया कांसा अर्पण तिहार। इस आयोजन में शामिल होने जिले से 20 हजार से अधिक लोग रायपुर के बूढ़ातालाब पहुंचे। बालोद जिले से दान में लिया गया। लगभग दो टन कांसा को बइगा-सिरहा के द्वारा विधि-विधान से अनुष्ठान कर भगवान बूढ़ादेव में अर्पित किया गया। छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के पदाधिकारियों के अनुसार 24 से 26 टन के बीच कांसा दान मिल चुका है और भी कई जगहों पर रथ पहुंच नहीं पाया है। चूंकि सल्ला गागरा निर्माण के लिए 71 टन कांसे की आवश्यकता होगी। इसलिए मांग के अनुरूप प्रदेश से बूढ़ादेव के रथ को बहुत से जिलों में भेजा जाएगा।

गहमा-गहमी के बीच सम्पन्न हुआ कार्यक्रम
कार्यक्रम से एक दिन पूर्व रायपुर के सभास्थल में लगे पंडाल और व्यवस्था को सरकार के इशारे पर पुलिस भेज कर हटवा दिया गया। देर रात तक क्रान्ति सेना के प्रदेश पदाधिकारी और पुलिस प्रशासन के बीच नोक झोंक चलता रहा। स्थानीय प्रशासन के द्वारा कार्यक्रम किए जाने पर अपराध दर्ज तक करने की बात कह दी गई। इसके बावजूद शानदार तरीके से कार्यक्रम संपन्न हुआ। कांसा अर्पण के इस कार्यक्रम में प्रदेश भर के लाखों लोग साक्षी बने।

चुनाव लड़ने तैयार रहे छत्तीसगढ़िया समाज – अमित बघेल

कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेशाध्यक्ष श्री अमित बघेल ने बिना पंजीयन के मैदान में प्रत्याशी उतारने की बात साफ कर दी है। उन्होंने कहा कि हसदेव हो या तुएगोंदी हम अपनी संस्कृति बचाने के लिए लड़े तो जेल भेजा गया। छत्तीसगढ़िया समाज चाहे आरक्षण हो या पेशा कानून आवाज उठा कर देख लिया, ये भाजपा और कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ियों को दबा देती है। इसलिए अब छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के नेतृत्व में छत्तीसगढ़िया समाज से खोज-खोज के छत्तीसगढ़ियावादी लोगों को चुनाव में उतार कर विधायक-सांसद बनाने का संकल्प लिया।

कांसे से ढलेगा बूढ़ादेव – शशिभूषण चंद्राकर

छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के जिला संयोजक शशिभूषण चंद्राकर ने बताया कि प्रदेश के कुलदेवता बूढ़ादेव को बूढ़ा तालाब में गौरव के साथ स्थापित करने का संकल्प लिया है और इस क्रम में 90% सफल भी हो चुके हैं अब यह महा उद्देश्य केवल संगठन का नही बल्कि प्रदेश के हर एक मनखे का हो चुका है, प्रदेशरथ में वनांचल का सफर करने वाले सेनानियों की माने तो सुदूर अंचलों से भी इस महाउदीम के लिए भारी उत्साह से कांसे का दान किया गया है।

800 साल पहले राजा रायसिंह जगत ने खुदवाया था बूढ़ा तालाब, की थी इष्ट देव बूढ़ादेव की स्थापना – चंद्रभान साहू

छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के जिला सह संयोजक चंद्रभान साहू ने बताया कि बूढ़ा तालाब छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास का साक्षी है, यह तालाब 800 साल पहले खुदवाई गई है और इसके इर्द गिर्द ही राजा रायसिंह जगत ने अपनी प्रजा को बसाया था और उनके आस्था अनुरूप कुल देवता बूढ़ादेव की स्थापना की थी, समय के साथ वहाँ स्थित देवठाना और बूढ़ादेव को भुला दिया गया, राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने अपने प्रोपोगेंडा के अनुसार काम किया और इस प्रदेश की पुरातन संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया जिसके फलस्वरूप छत्तीसगढ़ियों ने बूढ़ादेव स्थापना के लिए महाउदीम की शुरूआत की है।

हमारे यहां धरती, पेड़-पौधों को पूजने की परंपरा – देवेंद्र साहू

छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के बूढ़ादेव रथ प्रभारी देवेंद्र साहू ने कहा कि आदि संस्कृति की धरती छत्तीसगढ़ जहां प्रकृति को देवता मानने वाले सीधे सच्चे लोग अपनी मान्यताओं, परम्पराओं के साथ प्रकृति के बारह महीनों त्यौहार का आनन्द मनाते हैं, इस धरा पर नदियों, पर्वतों, पेड़ों और मान्यताओं को पूजा जाता है। चैत्र माह में वनांचल आम, इमली और कई परम्परागत मौसमी फलों के पकने के मौसम है और पहले फल पर प्रकृति का अधिकार मानकर इस पर्व को मनाया जाता है, ऐसी मान्यता है कि जब कोई फल पक कर बीज बनाने की प्रक्रिया पूरी कर ले तब उसे वंश वृद्धि के लिए युक्त माना जाता है और तब उसका पहला फल बूढ़ादेव को अर्पण कर उपभोग किया जाता है। इस मौसम में आम के फलों में चेर यानी गुठली बन जाती है जिसके बाद ही उसे आचार या अन्य उपभोग के लिए उपयोग किया जाता है। इसलिए छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के द्वारा चइतराही और करसाड़ पर्व रायपुर में मनाए जाने का निर्णय लिया गया। इस दौरान बालोद जिला के सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष युआर गंगराले, गोंड़ गोंडवाना महासभा के जिलाध्यक्ष प्रेमलाल कुंजाम, छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के डी. देशमुख, संजय सोनी, सुभाष साहू, राजू साहू, प्रकाश निषाद, केदार साहू, दानी साहू, टेकराम साहू, खोमन साहू, चम्मन साहू, झम्मन साहू, मनोज ठाकुर, भगवान दास साहू, कामता साहू, जय सिन्हा, सोनू चंद्राकर, दुलार सिंह, आदित्य साहू, इमेश साहू, जीतू साहू, मिथलेश तारम, सूरज सेमरे, लोकेश निषाद, चुन्नू साहू, राहुल मानिकपुर, युवराज पटेल, हेमंत साहू, नेमेश ठाकुर, रूपेश साहू, करण निषाद, राजू सिन्हा, अश्विनी ठाकुर, हरीश देवांगन, बीरेंद्र देवांगन, युवराज पटेल उपस्थित थे।

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