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विश्व रेबीज़ दिवस विशेष: जानलेवा हो सकता है जानवरो का काटना, डॉक्टर वीरेंद्र गंजीर कर रहे लोगों को जागरूक

बालोद। 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। आमतौर पर इसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होती है। ऐसे में इस दिवस को सार्थक मनाते हुए जिले के पूर्व महामारी विशेषज्ञ और पब्लिक हेल्थ सलाहकार डॉक्टर वीरेंद्र गंजीर ने मीडिया के जरिए लोगों को जागरूक किया है। उन्होंने कहा कि अगर आपको किसी भी जानवर द्वारा दांतो से काटा गया गया है, दांत या नाखून से स्क्रेच या किसी भी प्रकार का घाव लग गया है तो तुरंत उपचार करवाएं। ऐसे में रेबीज़ वायरस के संक्रमण का खतरा रहता है जोकि जानलेवा हो सकता है।

दरअसल रेबीज़ के संक्रमण से भारत में प्रतिवर्ष लगभग 20000 लोगो की मौत हो जाती जोकि पूरे विश्व का 36% है। भारत में उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में मृत्यु दर 3% से भी अधिक है। रेबीज़ बीमारी कुत्तों के काटने से सबसे अधिक होता है लगभग 97% बाकि 3% बिल्ली , बंदरों या अन्य जानवरो के काटने से होता है।

क्यों है खतरनाक रेबीज़

डॉ वीरेंद्र गंजीर ने बताया कि
जानवरो के काटने का बाद वायरस डैमेज हुए त्वचा के तांत्रिक कोशिकाओं के माध्यम से दिमाग तक पहुंचता है और अपना असर दिखाता है। एक बार अगर लक्षण आ गए तो मरीज का बचना असंभव है। इसलिए यह रोग बहुत घातक माना जाता है।

क्या है लक्षण

उन्होंने बताया कि संक्रमित जानवर के काटने के 30 दिनों से 90 दिनों या अधिकतम 6 वर्ष के अंदर भी मरीज में लक्षण दिखाई दे सकते है ।

ये लक्षण अगर मरीज को दिखे तो बचना मुश्किल है जैसे:

1. हाइड्रोफोबिया (पानी से डर लगना)
2.. फोटो फोबिया ( प्रकाश से डर)
3. एयरोफोबिया (हवा से डर)
और अंत में मरीज की मृत्यु हो जाती है ।

क्यों आवश्यक है टीका- एंटी रेबीज़ वैक्सीन

संक्रमित जानवर से संपर्क में आने के बाद यदि लक्षण दिख गए तो इलाज संभव नहीं, इसलिए बचाव के रूप में एंटी रेबीज़ वैक्सीन लगाना बेहद आवश्यक है ।आजकल उपलब्ध टीका अत्यंत सुरक्षित है तथा शासकीय चिकित्सालय में निःशुल्क उपलब्ध रहता है । पहले लगने वाले 14 इंजेक्शनों के बजाय आजकल मांसपेशियों में लगने वाला 5 टीका जिसे 0, 3,7,14 और 28वें दिन लगाया जाता है अथवा त्वचा में लगने वाला 4 टीका जिसे 0, 3, 7 और 28वें दिन लगाया जाता है, पूर्णतः सुरक्षित और असरकारक है ।

 

जानवरो द्वारा काटने के बाद क्या करे

डॉ वीरेंद्र ने कुछ तात्कालिक सावधानियां और उपायों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि तुरंत कटे हुए जगह को साबुन या डिटर्जेंट या एंटीसेप्टिक से बहते हुए पानी से धोएं और चिकित्सक के पास टीकाकरण हेतु पहुंचे। डॉक्टर द्वारा घाव को देखकर निर्णय लिया जाएगा की घाव कौन सी कैटेगरी का है।

 

कैटेगरी 1 के अंतर्गत जानवरो को छूना सहलाना प्यार करना भोजन देना बिना कटे त्वचा को चाटना आदि शामिल है , इसमें केवल संबंधित भाग को एंटीसेप्टिक से धोएं, टीका की आवश्यकता नहीं होती।
कैटेगरी 2 के अंतर्गत त्वचा में दांत या नाखून द्वारा खरोच, कुतरना, कट जाना, नोचना आता है इसमें घाव को धोकर पूरे डोज टीके की आवश्यकता होती है । कैटेगरी 3 में जानवर द्वारा गहराई से काटना जिसमे घाव से अधिक रक्तस्राव हो रहा हो आता है। इसमें घाव को धोकर पूरे डोज टीके के साथ इम्यूनोग्लोबुलिन सीरम की जरूरत होती है । सीरम 24 घंटे के भीतर लगाना चाहिए या अनुपलब्धता में अधिकतम 7 दिनों के भीतर।

जानवरो को भी टीकाकृत करे

पालतू और आवारा पशुओं को भी एंटी रेबीज़ टीका लगाया जाना चाहिए जिससे संक्रमण से बचाव हो सके। स्वास्थ्य एवं पशुपालन विभाग के समन्वय से यह कार्य किया जाना चाहिए।
जानवरो द्वारा काटने/रेबीज़ से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप 9111843834 पर भी कॉल कर सकते है।

 

रेबीज एक घातक वायरल बीमारी है जो मनुष्यों सहित स्तनधारियों के सेंट्रल नर्व्स सिस्टम को प्रभावित करती है. यह मेनली संक्रमित जानवर के काटने या खरोंचने से फैलता है, क्योंकि वायरस लार में मौजूद होता है. प्रारंभिक उपचार जरूरी है, क्योंकि रेबीज के संपर्क में आने के बाद कई वैक्सीनेशन रोग को बढ़ने से रोक सकते हैं. रेबीज की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया भर में इस बीमारी को खत्म करने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है. विश्व रेबीज दिवस 2024 के लिए थीम, “रेबीज सीमाओं को तोड़ना” रखी गई है, जिसका चयन रेबीज की रोकथाम और मौजूदा सीमाओं से आगे बढ़ने की जरूरत पर जोर देने के लिए किया गया था.

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