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अक्षय तृतीया पर है गुड्डे-गुड़ियों की शादी करने की परंपरा, निभा रहे बच्चे

बाल विवाह अपराध का भी देते हैं संदेश

बालोद। बच्चों को अक्षय तृतीया के पर्व की महत्वता बताने के लिए गुड्डे गुड़िया की शादी रचाई जाती है। 16, संस्कारों में से विवाह भी एक संस्कार है। जिस घर में शादी होती है वहां सुख और खुशी का माहौल होता है, इसलिए अधिकांश विवाह अक्षय तृतीया के दिन हाेते हैं। पंडितो के अनुसार जिन घरों में युवक और युवती शादी योग्य होते हैं और किसी कारणवश उनकी शादी नहीं हो पा रही होती है, ऐसे घरों में प्रतिकात्मक रूप से कपड़े अथवा मिट्टी के गुड्डा गुड़िया बनाकर पारंपरिक रूप से उनकी शादी करने की परंपरा सालों से चली आ रही है। ऐसा करने से परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है और साथ ही युवक-युवतियों की शादी में आ रही बाधाएं भी दूर होती हैं। मान्यता है कि इससे बच्चों को शादी संस्कार के बारे में भी पता चलता है, जिससे वह इन शादी की रस्मो को समझ सके।

घर-घर होती है गुड्डा गुड़िया की शादी

अक्षय तृतीया के दिन कई घर और गली में मिट्टी के गुड्डे गुड़िया का विवाह रचाया जाता है। जिसके लिए कपड़े की खरीदारी अवश्य की जाती है। घर-घर में विवाह की रस्में निभाई जाती हैं गुड्डे गुड़िया का विवाह रचाते समय दोनों पक्षों के लोग तालाब से चुलमाटी लेने जाते हैं। उसके बाद देवी देवताओं की प्रतिष्ठा करते हैं। आम के पत्ते तथा केले के पत्तों से मंडप सजाया जाता है, फिर गुड्डा गुड़िया को तेल हल्दी चढ़ाने की रस्म निभाते हैं। इसके बाद मंत्रोच्चारण के साथ सात फेरे कर कन्यादान के साथ समधी भेंट दी जाती है। इसके बाद विदाई आदि रस्मों को पूरा किया जाता है।

लगातार बढ़ रहा बच्चों में गुड्डा गुड्डी ब्याह रचाने का क्रेज

अक्षय तृतीया पर लगातार शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों द्वारा गुड्डा गुड्डी का ब्याह रचाने का क्रेज दिखाई देने लगा है। लोग इसे मनोरंजन के रूप में भी आयोजन करते हैं ।तो वहीं इस आयोजन के पीछे कुछ जागरूक बच्चों का उद्देश्य बाल विवाह का विरोध करना भी होता है। जगन्नाथपुर, दुधली मालीघोरी सहित आसपास के कई गांव में गुड्डा गुड्डी का ब्याह रचाया जा रहा है। अक्षय तृतीया के एक दिन पहले ही मंडप सजा दिया गया है। लोगों को शादी कार्ड भी बांटा गया है। वही इस आयोजन के जरिए बच्चे बाल विवाह अभिशाप है इस बात का संदेश भी देते हैं। पालकों को जागरूक करते हैं कि शादी ब्याह कोई मजाक भी नहीं है। जब उम्र होगी जब पढ़ाई पूरी होगी तब वे शादी करेंगे। पहले पढ़ाई फिर विदाई l, इस संदेश को भी गुड्डा गुड्डी के ब्याह के जरिए बच्चे दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि समाज में जागरूकता फैले।

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