Balod: महिलाओं ने किया कमाल, हुई मालामाल, बेर का आचार, वर्मी बोरिया, सेनेटरी पेड, धान और सब्जी के बीजों से निर्मित राखियां बेचकर महिलाएं बनी लखपति, प्रति व्यक्ति आय 18 हजार कर रही अर्जित-
बालोद। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अब सिर्फ चूल्हे चौकों तक ही सीमित नही है। बल्कि घर से बाहर निकल शासन की योजनाओं के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों से जुड़कर अच्छी खासी आय अर्जित कर रही हैं। अपनी एक अलग पहचान बना रही है। छत्तीसगढ़ राज्य राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत महिलाओं को महिला स्व-सहायता के रूप में गठित कर एवं उन्हे प्रेरित कर स्व/रोजगार से जोड़े जाने की अति महत्वाकांक्षी योजना है। आज राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान में समूह में जुडकर महिलाएं सफलता की नई कहानीयां लिख रही है तथा अपने सपनों को पंख देकर उड़ान के लिए तैयार है। तीनो स्तर की संगठन एवं बिहान टीम की सहायता से इन महिलाओं को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव प्रयास जिले में किये जा रहे है। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ को जिले में साकार होता देखा जा सकता है। कि किस तरह जिले की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है। उल्लेखनीय हो कि जिले में व्यक्तिगत आजीविका गतिविधि अंतर्गत एनआरएलएम से जुड़े 83 हजार 74 परिवार है। जिसमे कुल गठित महिला समूह 8 हजार 81 और व्यक्तिगत हितग्राही की संख्या 2 हजार 778 हैं। जिनकी कुल वार्षिक विक्रय राशि 13 करोड़ 89 लाख, वार्षिक लाभ 47 लाख 26 हजार 270 और प्रति व्यक्ति आय 16 हजार 928 रुपये हैं। इसी तरह सामूहिक आजीविका गतिविधि अंतर्गत एनआरएलएम से जुड़े 83 हजार 74 परिवार हैं। जिसमें कुल गठित महिला समूह 8 हजार 81 और समूह संख्या 448 है, जिसमे 2 हजार 107 सदस्य हैं। जिनकी कुल वार्षिक विक्रय राशि 9 करोड़ 48 लाख 15 हजार, वार्षिक लाभ 38 लाख 99 हजार 550 और प्रति व्यक्ति आय 18 हजार 82 रुपये हैं।
गौठानो में वर्मी बोरी निर्माण बना आय का साधन-
गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम पंचायत गब्दी की श्री गणेशाय स्व-सहायता समूह जो वर्ष 2018 से समूह में जुड़कर 50-50 रुपये बचत राशि इकट्ठा कर आपसी लेनदेन का कार्य कर रही थी। जब वर्ष 2020 में गोधन न्याय योजना की शुरूआत हुई और गौठानो में वर्मी खाद का उत्पादन जोरो शोरो से प्रारंभ हुआ तथा गौठानों में बोरियाँ की जरूरत पड़ी। जिसे अत्याधिक मूल्य में क्रय करना पड़ता था। तब समूह ने सोचा कि क्यो न वर्मी खाद के लिए बोरी निर्माण किया जाये। बोरी निर्माण के लिए मशीन की आवश्यकता थी। जो जिला प्रशासन के सहयोग से मिला तथा कच्चे माल एवं अन्य अतिरिक्त खर्च के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) अंतर्गत चक्रिय निधि, सामुदायिक निवेश कोष एवं बैंक लिंकेज के माध्यम से पैसो की व्यवस्था हुई। फिर बोरी निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। समूह की सक्रिय सदस्य संतोषी सिन्हा ने नई दुनिया को बताया कि अब तक कुल 73 हजार 800 बोरियों का विक्रय किया जा चुका है। जिसे गुण्डरदेही के अलावा गुरूर, बालोद, डौंडी, डौंडीलोहारा ब्लॉक सहित अन्य जिलों में भी आपूर्ति की जा रही है। जिससे समूह सदस्यों को प्रति दिवस 200 रुपये प्रतिमाह 20-25 कार्य दिवस के आधार पर मानदेय प्राप्त हो रहा है तथा इसके अलावा शुद्ध लाभांश 1.40 लाख रुपये प्राप्त हुआ है। पहले खुले बाजारों में यह बोरी 18-20 रुपये में मिलती थी। परन्तु इसे 12.50 रुपये में विक्रय करते है। बोरियाँ सभी गौठान पंचायतों में आपूर्ति की जा रही है।
बेर के आचार की डिमांड बढ़ी-
ग्रामीण क्षेत्र में प्रचलित बेर आय का साधन भी बन सकता है ऐसा किसी ने सोचा नही होगा। स्वाद में खट्टा मीठा और अत्यंत रसिकता लिए हुए यह उत्पाद आज कुछ महिलाओं के आय का साधन बन चुकी है। डौंडीलोहारा के बटेरा गांव की स्व सहायता समूह की महिलाएं बेर का आचार बनाने का कार्य करती है। ऐसा उत्पाद जिसकी मांग हर तरफ बढ़ती जा रही है। ज़िले से अलावा अन्य जिलों से भी लगातार मांग आ रही है। बालोद में सी-मार्ट राजनांदगांव के सी-मार्ट के साथ साथ विभिन्न जिलों में लगाये जाने वाले मेलो में भी इसकी अच्छी खासी मांग देखी गई है। आदिवासी कल्याणी समूह की सदस्य लक्ष्मी ध्रुव ने नई दुनिया को बताया कि पहले छोटे स्तर पर एक एक किलो बेर आचार बनाकर गांव में बेचा करते थे। फिर धीरे धीरे इसका स्वाद लोगो की जुबान पर चढ़ने लगा और अधिक से अधिक मांग आने लगी। आज अन्य जिलों से भी मांग आने लगी है। लक्ष्मी ध्रुव ने आगे बताया कि आचार में किसी भी प्रकार का केमिकल उपयोग नही किया जाता हैं। पूर्णतः प्राकृतिक रूप से तैयार करते है। अब तक कुल 6 लाख 53 हजार रुपये का बेर अचार का विक्रय किया जा चुका है। जिसमे शुद्ध लाभ 3 लाख 89 हजार रुपये प्राप्त हुआ है।
सेनेटरी पैड निर्माण-
जिले के ग्राम अरमरीकला के गौठान में एसएचजी की आरती महिला समूह के 4 से 5 सदस्यों द्वारा सेनेटरी पैड का निर्माण किया जा रहा है। इस अभिनव पहल के तहत निर्माण के साथ-साथ ये आसपास के स्कूल, कालेज, महिलाओं को माहवारी के समय इसके उपयोग से लाभ का प्रचार प्रसार एवं जागरूकता के साथ विक्रय भी किया जा रहा है। इनके द्वारा अभी तक 2.10 लाख का पैड निर्माण कर विक्रय किया जा चुका है। इससे लगभग 95 हजार का आय अर्जन इनके द्वारा किया गया है
2 लाख 56 हजार रुपये शुद्ध प्राप्त-
डौंडी ब्लॉक के ग्राम कुमुड़कट्टा की स्व सहायता समूह की सदस्य कुसुम सिन्हा व्यक्तिगत आजीविका के रूप में आचार जैसे आम नीबू जिमीकंद आदि का निर्माण करती है। साथ ही त्योहारी सीजनों जैसे रक्षाबंधन के अवसर में राखी निर्माण कार्य करती है। विगत 3 वर्षों से ये कार्य कर रही है। इनके द्वारा निर्मित सामग्री सी मार्ट, छात्रावास केंद्रों, आंगनबाड़ी, मध्यान्ह भोजन आदि जगहों में विक्रय होता है। राखी जो कि प्राकृतिक व जैविक अर्थात बांस, धान की बालियां, सब्जी के बीजो से निर्मित होती है। जिसका विक्रय सी मार्ट व शासकीय कार्यालयों के साथ साथ लोकल मार्केट में भी स्टाल के माध्यम से विक्रय किया जाता है। कुसुम सिन्हा ने बताया कि उनकी राखियो की मांग बालोद ज़िले के अलावा दुर्ग, राजनांदगांव, धमतरी सहित अन्य जिलों में भी है। उन्होंने बताया कि अब तक आचार से 86 हजार एवं राखियो से 3 लाख 82 हजार कुल 4 लाख 68 हजार रुपये की सामग्री का विक्रय किया गया हैं। जिसमे शुद्ध लाभ 2 लाख 56 हजार रुपये प्राप्त हुआ।
गौठान में सब्जी बाडी का कार्य किया गया प्रारम्भ-
गुरूर ब्लॉक के ग्राम पंचायत अरमरीकला के 12 सदस्य मिलकर उज्जवला स्वंय सहायता समूह का गठन 24 अगस्त 2019 को किया गया। जिसमें 11 अन्य पिछड़ा वर्ग और 1 सदस्य अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंध रखती है। उज्जवला स्वंय सहायता समूह बिहान से जुड़कर प्रत्येक सदस्य 20 रूपये सप्ताहिक जमा कर बचत करते है और बचत राशि को आवश्यकता के आधार पर समूह के सदस्यो को 2 प्रतिमाह प्रति सैकड़ा के दर पर ऋण देते है। पहले समूह के सदस्य खेती बाडी व मजदूरी करते थे। जिसमें इनके घर में आय कम होने के कारण नही चल पाता था। समूह के सभी दीदीयों ने आजीविका गतिविधि से जुड़ने हेतु विचार कर। शासन द्वारा चलाए जा रहे नरवा, गरवा घुरवा, बाडी, के तहत गौठान में सब्जी बाडी का कार्य उज्जवला स्वयं सहायता समूह द्वारा 25 जून 2020 को प्रारंभ किया गया। अब प्रति सदस्य 18 हजार 225 रुपये लाभ प्राप्त हो रहा है।