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भगवान् परशुराम जन्मोत्सव 10 मई, शुक्रवार को बालोद में, हो रही भव्य आयोजन की तैयारी

बालोद। भगवान् परशुराम जन्मोत्सव का आयोजन 10 मई, शुक्रवार को बालोद में होगा। जिसके भव्य आयोजन की तैयारी में ब्राम्हण समाज बालोद जुटा हुआ है। आयोजन के तहत प्रातः 8 बजे से पूजन भगवान् परशुराम चौक पर होगी। प्रातः 9 बजे से हवन पूजन एवं प्रशादी वितरण भगवान् परशुराम मंदिर में होगा। शाम 6 बजे भगवान् परशुराम जी की महाआरती पश्चात शोभायात्रा भगवान परशुराम मंदिर से निकलेगी। रात्रि 8.00 बजे से परिवार भोज गुरुकुल स्कूल बालोद में होगा। जिला अध्यक्ष अटल दुबे ने अपील की है कि आयोजन में सपरिवार समाज जनों की उपस्थिति समाज हित में आवश्यक है। सभी विप्रजन शोभायात्रा के पश्चात साथ में ब्राम्हण भोज मंदिर के सामने गुरुकुल में करेंगे।

जानिए परशुराम जी के बारे में

 

हिंदू धर्म में भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है. भगवान विष्णु के कुल 24 अवतार हैं.इनमें से 23 अवतार अब तक पृथ्वी पर आ चुके हैं और 24वां अवतार ‘कल्कि अवतार’ होना बाकी है.
इन 24 अवतारों में से 10 अवतारों को भगवान विष्णु के मुख्य अवतार माना जाता है. उनमे से परशुराम का अवतार एक हैं. परशुराम जयन्ती पर भगवान विष्णु के छठवें अवतार के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है. हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष तृतीया को परशुराम जयंती मनाई जाती है. जिला अध्यक्ष अटल दुबे ने बताया इस दिन अक्षय तृतीया का पर्व भी मनाया जाता है. भगवान परशुराम का जन्म प्रदोष काल के समय हुआ था तथा इसीलिये जिस दिन प्रदोष काल के दौरान तृतीया तिथि होती है उस दिन को परशुराम जयन्ती का उत्सव मनाया जाता है.

भगवान परशुराम का इतिहास

भगवान विष्णु ने पापी, विनाशकारी तथा अधार्मिक राजाओं का विनाश कर पृथ्वी का भार हरने हेतु परशुराम जी के रूप में छठवाँ अवतार धारण किया था. इन दुष्ट राजाओं ने पृथ्वी के संसाधनों को लूटा तथा राजाओं के रूप में अपने कर्तव्यों की उपेक्षा की थी. भगवान परशुराम युद्ध और तीरंदाजी में अपने असाधारण कौशल के लिए पूजनीय हैं. उन्हें अपने पिता के प्रति समर्पण और धर्म को कायम रखने में उनकी भूमिका के लिए भी जाना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अन्य सभी अवतारों के विपरीत, परशुराम जी वर्तमान में भी पृथ्वी पर ही निवास करते हैं. इसीलिये, श्री राम तथा श्री कृष्ण की तरह, परशुराम की पूजा नहीं की जाती है. दक्षिण भारत में, उडुपी के पास पवित्र स्थान पजाका में, एक प्रमुख मन्दिर स्थित है जो परशुराम जी को समर्पित है. भारत के पश्चिमी तट पर भगवान परशुराम को समर्पित अनेक मन्दिर अवस्थित हैं. कल्कि पुराण में वर्णित है कि, परशुराम भगवान विष्णु के 10वें एवं अन्तिम अवतार श्री कल्कि को शस्त्र विद्या प्रदान करने वाले गुरु होंगे. यह प्रथम अवसर नहीं है कि भगवान विष्णु के छठवें अवतार किन्हीं अन्य अवतार से भेंट करेंगे. रामायण के अनुसार, देवी सीता और भगवान राम के विवाह समारोह में परशुराम जी का आगमन हुआ था तथा भगवान विष्णु के 7वें अवतार श्री राम जी से उनकी भेंट हुयी थी .

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