चीटियों से सीखे निरंतरता और सकारात्मकता, जब सपने बड़े हैं तो संघर्ष कैसे छोटे हो सकते हैं?
बालोद। सहजानंदी चातुर्मास में प्रवचन श्रृंखला के तीसरे दिन महावीर भवन में विराजित परम पूज्य ऋषभ सागर जी ने लोगों को चींटी से सीख लेने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि हम देखते हैं की सफल बहुत कम लोग हो पाते हैं ऐसा कौन सा विश्वास या दृष्टिकोण है कि जो व्यक्ति को जीवन में सफलता देता है और ऐसा क्या है जिससे लोग चूक जाते हैं। अच्छा जीवन सब जीना चाहते हैं लेकिन अच्छे जीवन के लिए जो नियम है उनका पालन नहीं होता है। जैसे एक चींटी बार-बार गिरने के बाद भी ऊपर चढ़ती है। यही हमें भी करना चाहिए। जब एक छोटी सी चींटी इतनी हिम्मत रख सकती है तो हम क्यों नहीं रख सकते। उन्होंने कहा कि जब चींटी भी एक कठिन से कठिन कार्य करती है अपने वजन से ज्यादा वजन उठा लेती है तो हम क्यों नहीं कर सकते। वह मार्ग ढूंढ लेती है लेकिन चींटी की तुलना में हम पीछे हो जाते हैं। वह मार्ग ढूंढ लेती है पर हम ढूंढ नहीं पाते हैं। कितनी धूप और कितनी रेत कंकड़ है फिर भी वह चुनकर शक्कर के दाने ला लेती है। चींटी जब चलती है तो शायद वह रेत और धूप नहीं देखती उसे तो सिर्फ शक्कर दिखती है जैसे अर्जुन को सिर्फ मछली की आंख दिखती थी। जीवन भी ऐसा ही है हमें जीवन में शक्कर रूपी सुख शांति चाहिए तो लेकिन धूप और रेत रूपी बाधाएं भी हैं। लेकिन उस शक्कर तक जो जीव पहुंच सकता है वही महापुरुष होते हैं। कैसे भी करके आगे बढ़ना है। हमें चींटी का ही दृष्टिकोण अपनाना होगा। मेरे जीवन में आनंद शांति चाहिए तो वह मिलकर रहेगी मुझे इस पर फोकस करना होगा। हम कई जगह फोकस कर देते हैं जिससे हाथ में आया हुई चीज भी निकल जाती है। पहले ही हम हार मान जाते हैं,बोलते हैं कि यह कठिन है अगर चींटी भी ऐसे ही कठिन मान लेती तो वह उस शक्कर तक नहीं पहुंच पाती। वह मान लेती है कि कैसे भी करके मुझे अपने लक्षय तक पहुंचना ही है। जबकि वह देख भी नहीं सकती। चींटी का एक रास्ता रोकेंगे तो दूसरे रास्ते से भी चली जाती है। वह खुद से रास्ता ढूंढ लेती है। हमें भी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी जैसे चींटी को अपना लक्ष्य स्पष्ट है तो वैसे भी हमें सुख शांति चाहिए तो हमें इस दिशा में काम करना होगा। लोग विपरीत चलते रहते हैं। ऐसा तब होता है जब हम स्पष्ट नहीं है। हमारी सुख हमारी शांति हम ही छीन और लूट रहे हैं। चींटी में बहुत लचीलापन होता है। एक रास्ता बंद करो तो वह दूसरा खोज लेती है। वैसे ही हमें भी सोचना है। शायद चींटी के शब्दकोश में असंभव शब्द होता ही नहीं है। वह अपने लक्ष्य तक येन केन प्रकारैन पहुंच ही जाती है। हमें भी वैसे ही लचीला हो जाना है। कोई दिक्कत आई तो हम दूसरा रास्ता जरूर चुने। भगवान अगर एक रास्ता बंद करते हैं तो अनेक रास्ते खोलते हैं। जो व्यक्ति समाधान पर सोचते हैं वही व्यक्ति सिद्धि को प्राप्त कर पाता है। जो समस्याओं को सोचता है वह सफल नहीं हो पाता। अवसर की कीमत नहीं आपकी तैयारी की कीमत है। जब अवसर आया और तैयारी नहीं है तो कोई मतलब नहीं है। जब आपकी तैयारी है अवसर रहेगा तो आप उसका उपयोग कर लेंगे। चींटी में निरंतरता होती है,वह थकती नहीं है। चीटियां मेहनती दिखाई देती है। भले ही धीरे चलो लेकिन सफलता मिलेगी। हम भी चलते हैं लेकिन हमारा तरीका अलग होता है। हम कभी दो कदम आगे चलते हैं तो दो कदम पीछे हो जाते हैं और विचारों में भी हम ऐसे ही चलते हैं। ज्ञानी बोलते हैं कि जब तक आप एक सीधी दिशा में एक निश्चित रहकर आगे नहीं चलोगे तब तक सफल नहीं हो पाओगे। अगर हम कोई जिम्मेदारी लेते हैं उसे निरंतर निभाने की कोशिश करें तो हम सफल हो जाएंगे। हम जो बांटते हैं वही हमें वापस मिलता है। अगर आपके हृदय में शिकायत है तो दूसरों को भी आपसे शिकायत रहेगी। जो भी चीज बनती है हमारे विचारों में बनती है। जो भी हम बार-बार सोचते हैं और अंतर मन में घुस जाती है। तो वैसे ही परिस्थितियों हमें मिलने लग जाती है। वैसा ही वातावरण मिलने लग जाता है। इसलिए जब लोग मानते हैं कि सब स्वार्थी है तो धीरे-धीरे उसके पास स्वार्थी लोग ही जमा हो जाते हैं और वैसे लोगों को ही आकर्षित कर लेते हैं। जब हम धैर्य रखकर उस दिशा में आगे बढ़ते हैं तब मंजिल तक पहुंचते जाते हैं। हमें धैर्य रखना पड़ेगा। यदि सपने बड़े हैं तो संघर्ष छोटे कैसे हो सकते हैं इसलिए धैर्य रखना पड़ेगा। पर हम रख नहीं पाते। अगर आप मनुष्य है तो आप में बदलने की पूरी संभावना है। प्रयास करते रहिए और एक दिन आपका प्रयास सफल होगा। गीता में भी कहा गया है कि प्रयास करते-करते जीवन का अंत भी आ जाए तो भी आप सफल हो। बुरा करते हुए सफल भी होते हैं तो निष्फलता ही हाथ लगती हैं। सब अच्छे के लिए हो रहा है यह धारणा बनाइए। तभी हम आगे बढ़ पाएंगे। हमें स्पष्टता चाहिए कि हम क्या चाहते हैं। अधिकांश जीवो को यह पता नहीं है की वो क्या चाहते हैं। अगर आप प्रेम चाहते हैं तो दूसरों के प्रति नफरत क्यों पैदा कर रहे हैं। वैसे में आपको बाहर से भी प्रेम नहीं मिल सकता। जैसे चींटी एक दिशा में चलती है जब तक पहुंच ना जाए वैसे ही हमें सकारात्मक सोच के साथ चलना होगा। आपके जीवन में आने वाले बुरे अनुभव भी आपके पुराने अनुभव के कारण आते हैं। सकारात्मक सोच रखेंगे तो आपके पुराने अनुभव भी हट जाएंगे। परिस्थिति कैसी भी हो हमें चींटी की तरह दृष्टिकोण अपनाना होगा।तो आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता।