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दुर्ग के खालसा स्कूल में संभाग स्तरीय युवा संसद का हुआ आयोजन, संसदीय मूल्यों पर युवाओं ने रखें शानदार तर्क, दुर्ग विजेता, तो राजनांदगांव रहा रनर अप, संभागायुक्त कावरे ने विजेता प्रतिभागियों को किया सम्मानित-

बालोद – दुर्ग के खालसा स्कूल में सम्बजः स्तरीय युवा संसद का आयोजन हुआ। इसमें संसदीय मूल्यों पर युवाओं ने अपनी बात रखी। इसमें दुर्ग जिला विजेता रहा और राजनांदगांव जिला रनर अप रहा। संभागायुक्त महादेव कावरे ने विजेता प्रतिभागियों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि युवाओं की संसदीय मूल्यों पर चर्चा सुनी। युवा पीढ़ी इतनी निष्ठा से संसदीय मूल्यों पर भरोसा करती है और इस पर अमल करती है। यह जानकर अच्छा लगा। एक जागरूक समाज और प्रखर लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है कि हम लगातार संसदीय प्रणाली के बारे में जागरूक रहें। संभागायुक्त ने कहा कि युवाओं को भारत के स्वाधीनता संग्राम का अध्ययन करना चाहिए, साथ ही यह भी जानना चाहिए कि किस प्रकार भारत में और दुनिया भर में लोकतंत्र का विकास हुआ। इस संबंध में दुर्ग जिले के प्रतिभागियों ने विचार रखते हुए कहा कि हमारी भारतीय परंपरा में हमेशा से सामूहिक सहमति की परंपरा रही है और सभी पक्षों की बात सुनी जाती है। इसके बाद लोकतांत्रिक परंपरा के अनुरूप निर्णय लिया जाता है। ऋग्वैदिक परंपरा में सभा, समिति आदि होती थी जो वृद्ध और अनुभवी लोगों की संस्था थी। इसमें सभी अपना विचार रखते थे। बुद्ध परंपरा में तो चर्चा होती थी, बहस होती थी और इसके बाद निर्णय लिये जाते थे। चोल काल में स्थानीय स्वशासन की परंपरा थी। भारत में हमेशा से तार्किक परंपरा का महत्व रहा है और हमेशा से सामूहिक चर्चा के बाद निर्णय लिये जाते थे। शास्त्रार्थ का चलन है। राजनांदगांव जिले के प्रतिभागियों ने कहा कि भारत में संसदीय बहस हमेशा रोचक होते हैं और सभी प्रतिभागी पूरी तैयारी के साथ आते हैं। पार्लियामेंट्री सिस्टम देश में लोकतंत्र को मजबूत करता है। अन्य जिलों से आये प्रतिभागियों ने कहा कि संसदीय प्रणाली इसलिए सबसे अच्छी है क्योंकि यह सबको अभिव्यक्ति का अवसर देती है। उन्होंने कहा कि इसमें अलग-अलग प्रकृति के विषयों के लिए अलग-अलग तरह के बहुमत के प्रावधान है। जिन विषयों पर ज्यादा लोगों की सहमति जरूरी होती है उसके लिए परम बहुमत की दरकार होती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को जिन देशों ने अपनाया, वहां पर अधिक समय तक जनता को ऐसा शासन उपलब्ध हुआ जिसमें व्यवस्था और संतोष था। इंग्लैंड और अमेरिका में कई शताब्दियों से लोकतंत्र है और बहुत जागरूक समाज है। भारत में आजादी के पहले से ही संसदीय व्यवस्था है और लोकतांत्रिक व्यवस्था के बीज तो वेदों से ही मिलते हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को सम्मान किया गया।

 

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