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दुर्गा पंडाल और धार्मिक आयोजनों से नेताओं को बनानी होगी दूरी, आयोजन समितियों को भी स्पष्ट निर्देश: आचार संहिता का रखें ध्यान, ना बनाएं नेताओं को अतिथि

बालोद। नौ दिनों का नवरात्र महोत्सव शुरू हो चुका है। इस बार के नवरात्रि में चुनावी आचार संहिता का साया भी बना हुआ है। ऐसे में खास तौर से किसी भी पार्टी से जुड़े हुए नेताओं को दुर्गा पंडाल और धार्मिक आयोजनों से दूरी बनानी पड़ेगी। उन्हें इन पंडाल से दूर रखने का निर्देश आयोजन समितियों को भी दिया गया है। समितियों को शासन प्रशासन द्वारा बैठक लेकर निर्देशित किया गया है कि किसी भी तरह के नेताओं को अतिथि ना बनाएं। अन्यथा अतिथि बन जाने पर उनके द्वारा मंच पर किसी तरह का राजनीतिक वक्तव्य भाषण दिया जाता है तो यह आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा और इसकी जवाबदारी आयोजन समिति की भी होगी। ऐसे में नवरात्रि के दौरान होने वाले आयोजनों में अब आयोजक समितियों को काफी सावधानी बरतनी पड़ेगी ।आमतौर पर देखा जाता है कि राजनीति से जुड़े लोग धार्मिक आयोजनों में अच्छी खासी चंदा रकम देकर अतिथि बनते हैं और ऐसे आयोजनों के बहाने अपना प्रचार प्रसार भी करते हैं। लेकिन इस बार चुनावी आचार संहिता में वे खुलकर ऐसा कुछ भी नहीं कर पाएंगे। धार्मिक आयोजनों को प्रचार प्रसार के तरीकों से दूर रखा जाएगा। तो वही आयोजन समिति को संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेकर ही लाउडस्पीकर आदि बजाए जाने को लेकर भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। ताकि प्रशासन को कार्रवाई करने की जरूरत ना पड़े। रात 10 बजे से सुबह 6: बजे के बीच लाउडस्पीकर बजाने पर पाबंदी लगाई गई है। विशेष आयोजन के लिए विशेष अनुमति की जरूरत पड़ेगी। दुर्गा समिति से जुड़े लोगों को सुरक्षा इंतजाम के साथ-साथ वर्तमान में विधानसभा चुनाव को देखते हुए लागू आचार संहिता को लेकर निर्देश दिए गए। अफसरों का कहना है आचार संहिता का किसी भी तरह से उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वरना हमें कार्रवाई करनी पड़ेगी। जहां से भी कोई भी शिकायत आती है तो हम कार्रवाई के लिए तत्पर रहेंगे। उन्होंने समिति के लोगों से विशेष रूप से अपील किया है कि किसी भी तरह से राजनीति से जुड़े हुए लोगों को मंच पर आमंत्रित ना करें। दुर्गा पूजन भक्ति भाव का त्यौहार है ।जिसे राजनीतिक मंच बनाने की कोशिश ना करें। अन्यथा समिति के खिलाफ हमें मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ सकती है। नेताओं को आम नागरिक के तौर पर आमंत्रित तो कर सकते हैं लेकिन यदि उनके मंचासिन फोटो कोई वायरस गलत ढंग से हुई या अतिथि द्वारा किसी राजनीतिक प्रेरित होकर भाषण दे दिया गया तो फिर कार्यवाही समिति के खिलाफ होगी। इसलिए ज्यादा से ज्यादा अच्छा है कि ऐसे नेताओं से दूरी बनाकर रखें। उन्हें धार्मिक मंच पर अतिथि बिल्कुल ना बनाएं।

चुनाव आचार संहिता का असर इस नवरात्रि पर होने वाले गरबा पर भी पड़ने जा रहा है. स्थानीय प्रशासन ने चुनावी साल में होने जा रहे गरबा आयोजनों के लिए रात 10 बजे तक की समयसीमा दी है जिसे कुछ संगठन ने बढाने की मांग की है. दरअसल, प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए तारीख का एलान होते ही राज्य में आचार संहिता लागू हो गई और इसकी चपेट में अब दुर्गा पूजा पंडाल और गरबा आयोजन आ गए हैं. गरबा सहित अन्य सभी आयोजकों को रात 10 बजे तक ही अनुमति दी गई है.

चीफ गेस्ट नहीं बन सकेंगे नेता

नवरात्रि में माता के दरबार और गरबा आयोजनों में जाकर नेतागिरी करने वाले और तामझाम के साथ जाकर जनता को लुभाने की कोशिश करने वाले नेताओं को भी आचार संहिता का झटका लगा है. चुनाव आयोग ने नेताओं को दो टूक कहा है कि आयोजनों में जाओ लेकिन साधारण व्यक्ति बनकर।
नवरात्री उत्सव में राजनितिक लोगों की भागिदारी के लिए चुनाव आयोग ने पहले भी जो दिशानिर्देश जारी किए हैं उसे ही लागू किया गया है. जिसके मुताबिक धार्मिक आयोजनों में राजनीतिक प्रतिनिधी या उम्मीदवार साधारण व्यक्ति के तौर पर जा सकेंगे और उस मंच का उपयोग राजनीतिक कार्य के लिए नहीं कर सकेंगे और ना ही चीफ गेस्ट बन सकेंगे। दरअसल दुर्गा पूजा और गरबा जैसे कार्यक्रमों के दौरान हिंदू वोटरों को लुभाने का इससे अच्छी तरीका नेताओं के पास नहीं होता. जहां वो होर्डिंग बैनरों के साथ अपनी उपस्थिति वोटरों के सामने दर्ज करा सकें. लेकिन चुनाव आयोग ने आचार संहिता लागू होते ही इन नेताओं के सपनों पर कुठाराघात कर दिया है. अब बीजेपी के नेता हों या कांग्रेस के, या कोई भी अन्य पार्टी के कोई भी चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन करने की बात कर रहे हैं.

वैसे नेता अक्सर धार्मिक आयोजनों के जरिए वोट की जुगाड़ में रहते हैं लेकिन ऐसा लगता है कि इस बार चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण नेता इसमे सफल नही हो पाएंगे.

 

जिले में ध्वनि विस्तार यंत्रों का उपयोग
रात्रि 10 बजे से प्रातः 06 बजे तक निषिद्ध

 

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कुलदीप शर्मा ने आदेश जारी कर कहा है कि जिले में विधानसभा आम निर्वाचन 2023 हेतु आचार संहिता प्रभावशील हो गयी है। सभी राजनैतिक दल उनके कार्यकर्ता तथा उनसे सहानुभूति रखने वाले व्यक्ति अपने दल के प्रचार-प्रसार के लिए लाउडस्पीकरों का प्रयोग करते हैं। इन लाउडस्पीकरों का न केवल स्थाई मंच से होता है बल्कि वाहनों यथा ट्रक, टेम्पों, कारें, टैक्सियों, वैन, तिपहिया, स्कूटर, साईकिल, रिक्शा आदि पर होते है। ये वाहन सड़को, गलियों, उप गलियों पर चलते है और गांवों, बस्तियों, मोहल्लों, कालोनियों में भी बहुत ऊंची आवाज पर लाउडस्पीकरों से प्रसारण करते हुए जाते हैं। इससे ध्वनि प्रदुषण होता है और आम जनता की शांति व प्रशांति में बहुत बाधा उत्पन्न होती है। लाउडस्पीकरों की ऊंची आवाज के प्रयोग से विद्यार्थी वर्ग विशेष रूप से अशांत हो जाते हैं एवं उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। चूंकि लाउडस्पीकर पर बहुत सुबह शोरगुल करना शुरू कर देते हैं और पूरा दिन इससे बुढ़े, दुर्बल और बीमार चाहे किसी भी संस्था, अस्पताल आदि में हो या घर में हो बहुत बेचैनी होती है। मैं इस बात से पूरी तरह भिज्ञ हूँ कि निर्वाचन अवधि में लाउडस्पीकरों के प्रयोग को पूर्ण रूप से रोका नहीं जा सकता क्योंकि लाउडस्पीकर निर्वाचन प्रचार के एवं जन समूह संप्रेषण के साधनों में से एक साधन है। लेकिन इसके साथ-साथ विषम समय एवं विषम स्थान पर लाउडस्पीकर के अविवेकपूर्ण तथा ऊंचे स्वरों पर अव्यवहारिक प्रयोग जिसमें प्रशांति पर कुप्रभाव पड़ता हो एवं सामान्यतः जन सामान्य एवं विशेषत रोगियों एवं विद्यार्थी समुदाय की बेचैनी का कारण हो जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। अतएव उपरोक्त वर्णित तथ्यों के प्रकाश में एवं समस्त तथ्यों पर विचार उपरांत जिला दण्डाधिकारी एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री शर्मा ने छ.ग. कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 की धारा-4 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए रात्रि 10 से प्रातः 06 बजे तक ध्वनि विस्तारक यंत्रो का चलाया जाना अथवा लगाया जाना पूर्ण रूप से निषिद्ध किया है। ध्वनि विस्तारक यंत्रो का उपयोग चुनाव प्रसार करने के लिए वाहनों पर और चुनावी सभाओं में प्रातः 6.00 बजे से रात्रि 10 तक ही किया जा सकेगा किन्तु ऐसे ध्वनि विस्तारक यंत्र साधारण किस्म के होंगे और मध्यम आवाज में ही चलाये जायेंगे। लोक शांति को देखते हुए लंबे चोंगे वाले माईक (हाॅर्न माइक) का उपयोग पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जाता है। वाहनों पर और चुनावी सभाओं में एक से अधिक माईक समूह में नहीं लगाये जायेंगे। इन्हें भी प्रतिबंधित किया जाता है। चुनावी सभा में चुनाव प्रचार करने के लिए वाहनों पर ध्वनि विस्तारक यंत्र लगाने के लिए अनुमति सम्पूर्ण बालोद जिला क्षेत्र हेतु अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी, अनुभाग क्षेत्र हेतु अनुविभागीय
दण्डाधिकारी से लिखित पूर्वानुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा। प्रातः 06 बजे से रात्रि 10 बजे तक ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग संबंधित अनुविभागीय दण्डाधिकारी, तहसीलदार एवं कार्यपालिक दण्डाधिकारी तथा उप तहसील यथा-दल्ली राजहरा तथा पुलिस चौकी क्षेत्र में संबंधित थाना, चौकी प्रभारी की अनुमति लेकर सामान्यतः किया जा सकता है किन्तु शैक्षणिक संस्थाओं, चिकित्सालयों व नर्सिंग होम, न्यायालय परिसर, शासकीय कार्यालय, छात्रावास, नगर पालिका परिषद, जनपद पंचायत एवं किसी भी स्थानीय निकाय कार्यालयों, बैंकों, पोस्ट ऑफिस, दूरभाष केन्द्र आदि कार्यालयों से 200 मीटर की दूरी के भीतर ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग सामान्य स्थिति में भी पूर्णतः प्रतिबंधित होगा। यह आदेश आज से चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने तक सम्पूर्ण बालोद राजस्व जिले में प्रभावशील रहेगा।

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