पेट्रोल-डीजल को लंबे समय से जीएसटी के तहत लाने की मांग की जा रही है. अगर ऐसा होता है तो देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ी कमी आ सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए पेट्रोल-डीजल को गुड्स एंड सर्विसेज के तहत लाने के सवाल पर कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है. अब राज्यों को इसके बारे में फैसला लेना है और वे साथ आकर दरें तय करें.
दरअसल, पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती है. वहीं, राज्य सरकार द्वारा वैट वसूला जाता है. इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन लागत और डीलर कमीशन मिलाकर अंतिम कीमत आती है.
उदाहरण के लिए मौजूदा समय में दिल्ली में पेट्रोल का बेस प्राइस 55.46 रुपये है. इस पर 19.90 रुपये की एक्साइज ड्यूटी, 15.39 रुपये का वैट लगता है. इसके बाद ट्रांसपोर्टेशन लागत और डीलर कमीशन क्रमश: 20 पैसे और 3.77 रुपये लगता है. ऐसे में अंतिम कीमत 94.72 रुपये निकलकर आती है.
वहीं, दिल्ली में डीजल का बेस प्राइस 56.20 रुपये है. इस पर 15.80 रुपये की एक्साइज ड्यूटी, 12.82 रुपये का वैट लगता है. इसके बाद ट्रांसपोर्टेशन लागत और डीलर कमीशन क्रमश: 22 पैसे और 2.58 रुपये लगता है. ऐसे में अंतिम कीमत 87.62 रुपये होती है.
जीएसटी के दायरे में आने पर होगा ये फायदा
अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो काफी फायदा होगा, क्योंकि जीएसटी की अधिकतम दर 28% है. दिल्ली में पेट्रोल का बेस प्राइस 55.46 रुपये है. इस पर 28 फीसदी जीएसटी लगा दी जाए तो टैक्स 15.58 रुपये बनता है. अगर ट्रांसपोर्टेशन लागत और डीलर कमीशन क्रमश: 20 पैसे और 3.77 रुपये जोड़ दिए जाए तो अंतिम कीमत 75.01 रुपये बनती है. ऐसे में पेट्रोल 19.7 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो सकता है.