धर्म

शिव और गणेश को समर्पित है 11वीं शताब्दी का कपिलेश्वर मंदिर समूह, यहां का कुंड कभी नहीं सूखता

बालोद। बालोद शहर में विशेष आस्था का एक केंद्र बिंदु है कपिलेश्वर मंदिर । यहां 11 वीं शताब्दी की शिवलिंग, भगवान गणेश की मूर्तियां आज भी शोभायमान है। यहां की पहचान देशभर में कपिलेश्वर शिव मंदिर समूह एवं बावड़ी छत्तीसगढ़ राज्य के रूप में होती है। वैसे तो यहां के स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से संरक्षण प्राप्त है। लेकिन जनसेवा समिति के पदाधिकारी व सदस्य यहां जरूरी सुविधाएं जुटा रहे हैं। शहर के अंतिम छोर नयापारा वार्ड 3 में स्थित कपिलेश्वर मंदिर समूह में भगवान शिव, गणेश को समर्पित मंदिर है। कृष्ण, देवी दुर्गा, संतोषी और राम जानकी मंदिर भी है। भगवान शंकर को समर्पित कपिलेश्वर मंदिर इनमें सबसे बड़ा है। पूर्वाभिमुख इस मंदिर में सिर्फ गर्भगृह मात्र है। मंदिर का शिखर काफी ऊंचा है। दोनों तरफ भगवान गणेश की 6 फीट की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर की द्वारशाखा के दाएं और बाएं तरफ कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं।

शिव मंदिर के सामने कुंड, जो कभी सूखता नहीं

यहां शिव मंदिर के सामने एक कुंड बना है। जहां हमेशा पानी भरा रहता है। जो कभी नहीं सूखता। अमूमन मंदिरों के पास कुंड या तालाब बनाने की परंपरा यहां पर देखने को मिलती है। कई योद्धाओं की प्रतिमा स्तंभों पर स्थापित है।

भगवान राम का मंदिर गर्भगृह व मंडप में विभक्त

पार्षद मोहन कलिहारी ने बताया कि आज भी शिवलिंग, राजा-रानी की मूर्तियां 11वीं से 14वीं शताब्दी का है। प्रत्येक मंदिर के दरवाजे के ऊपर गणेश की मूतियां अंकित है। मंदिरों के शिखर भाग पर नागों की आकृतियां अंकित है। जिससे अनुमानित होता है कि यहां पर भी स्थानीय नागवंशी राजाओं का शासन रहा होगा। किवंदती है कि इनके शासन काल में ही इन मंदिरों का निर्माण होना माना गया है। यहां भगवान राम का मंदिर गर्भगृह और मंडप में विभक्त है।

गर्भगृह में गणेशजी की 6 फीट की प्रतिमा स्थापित

यहां का दूसरा मंदिर भगवान गणेश का है। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश की 6 फीट की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर का शिखर ऊपर की ओर संकरा होता गया है। मंदिर का शिखर पीड़ा देवल प्रकार में निर्मित है। छत्तीसगढ़ में भगवान गणेश की कई प्रतिमाएं मिलती है लेकिन अधिकांश प्रतिमाएं खुले में या किसी मंदिर के मंडप में स्थापित प्राप्त होती है लेकिन ऐसे मंदिर बहुत कम ही मिलते हैं जो सिर्फ भगवान गणेश को समर्पित है।

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